हरी ॐ ,
१॰ “ॐ पीर बजरङ्गी, राम-लक्ष्मण के सङ्गी, जहाँ-जहाँ जाए, फतह के डङ्के बजाए, दुहाई माता अञ्जनि की आन।”
२॰ “ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”
विधिः- यदि कोई विशेष कार्य करवाना हो अथवा किसी से अपना काम बनवाना हो ( सच्चा काम ) , तो कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व अथवा व्यक्ति-विशेष के पास जाते समय उक्त दो मन्त्रों में से किसी भी मन्त्र का जप करता हुआ जाए। कार्य में सिद्धि होगी।
सर्व-सिद्धि-दायक शाबरी ‘यन्त्र’
सर्व-सिद्धि-दायक शाबरी ‘यन्त्र’ की प्रतिष्ठा खुद से करें
‘शाबर-मन्त्रों की पूर्ण सफलता के लिये ‘शाबरी-यन्त्र’ को सिद्ध करना चाहिए। इसके लिये अपने सामने लकड़ी का एक पाटा रखें। पाटे पर पीला रेशमी वस्त्र बिछाए। रेशमी वस्त्र पर ३ या ५ मुट्ठी अक्षत रखें। अक्षत के सामने कागज पर छपा हुआ , भोजपत्र पर या धातु पर उत्कीर्ण सर्व-सिद्धि-दायक ‘शाबर-यन्त्र’ रखें। यन्त्र पर चन्दन, रोली लगाए, यन्त्र के सम्मुख दीप जलाए और अगर-बत्ती-धूपादि से सुगन्धित करे। पुष्प और बिल्व-पत्रादि चढ़ाए। तब ‘गणपति, और ‘गुरु’ का स्मरण कर ‘यन्त्र के सम्मुख हाथ जोड़कर निम्न मन्त्र पढ़े-
“ॐ ह्राङ्क ह्रीङ्क क्लीङ्क ह्रौङ्क ब्ल्युङ्क ह्रौङ्क हुँः।”
उक्त मन्त्र पढ़ने के बाद निम्न मन्त्र जपें-
“ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”
जप के बाद यन्त्र को प्रणाम कर स्वच्छ वस्त्र आदि में अपने पास रखें।
लाभ-
इससे सभी कार्य शीघ्र सिद्ध होंगे। संकटों का निवारण होगा। दुःख-दारिद्रय की निवृत्ति होगी और धन की प्राप्ति होगी। यन्त्र जहाँ भी होगा या स्थापित होगा, वहाँ की सभी प्रकार की अला-बला, बुरी नज़र , बीमारियां , दरिद्रता , उपद्रव आदि नष्ट हो जाते हैं।
बस शिदत, समर्पण और सच्ची प्रभु की तरफ आस्था की आवश्यकता है .
हरी ॐ