हरी ॐ ,
शनि न्याय और अनुशासन प्रिय ग्रह हैं। शनि गोचर, साढ़ेसाती और महादशा का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। क्योंकि इसके प्रभाव से मनुष्य के जीवन में बड़े बदलाव होते हैं , जैसे शादी , नॉकरी व्यवसाय बच्चे आदि । हालांकि ये परिवर्तन सुखद और दुखद दोनों हो सकते हैं।
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इसका फल आपकी राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है। साल 2017 में शनि ग्रह अपनी राशि बदलेंगे और अन्य राशि में गोचर करेंगे।शनि पापी ग्रह हैं ( ग्रह पापी नहीं होते हैं , यहाँ ये ज्योतिष की भाषा है , पापी हमारे अपनी करम / नज़र / सोच / वाणी होती है ), परन्तु इसके साथ साथ शनि एक न्यायाधीश ग्रह है, जो आपको अपने पुराने कर्मों का फल प्रदान करते हैं, यदि आप ने सुकर्म किये है या सुकर्म कर रहे हैं तो निश्चित ही शुभ फल,की प्राप्ति होगी परन्तु आप ने कुकर्म / पाप किए हैं तो अवश्य ही जज के द्वारा दण्डित किया जाएगा इस बात में लेश मात्र भी संदेह नहीं है।
“शनि शत्रु नहीं मित्र हैं , अपने करम सुधारें ”
ज्योतिष शास्त्र में शनि नौकर है। सूर्य पुत्र शनि कृष्ण वर्ण के है। शनि के लंगड़ा होने के कारण इनकी गति धीमी है। शनि का वाहन कौआ है। ज्योतिष शास्त्र में शनि निम्नलिखित का कारक माना जाता है।
- सूर्य पुत्र
- रोग
- दुःख
- कमजोर स्वास्थ्य
- संघर्ष
- वाधाए
- शत्रुता
- मृत्यु
- दीर्घायु
- जरायु
- नंपुसकता
- कृष्ण वर्ण
- क्रोध
- विकलांगता
- नौकर
- नौकरी इत्यादि
शनि तुला राशि में २० अंश में उच्च का होता है तथा मेष राशि में २० अंश में नीच का होता है। शनि मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। इनका मूल त्रिकोण राशि कुंभ है। शनि को दुख व शोक का कारक भी माना जाता है।
शनिदेव 26 जनवरी 2017 को वृश्चिक राशि से धनु राशि में रात ९.३४ को प्रवेश करेंगे , और २३ जनवरी २०२० तक रहेंगे।
इस राशि में शनि सबसे पहले केतु के मूल नक्षत्र में भ्रमण करेंगे उसके बाद शुक्र तथा सूर्य नक्षत्र में परिभ्रमण करेंगे। वही नवांश में मेष राशि से लेकर धनु राशि तक क्रमशः परिभ्रमण करेंगे।
यहां लग्न तथा चन्द्रमा की राशि को आधार मानकर, शनि का बारह राशियों पर आम तोर पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है इस का भैयाजी द्वारा विस्तृत विवेचना किया जा रहा है। आपके जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि में होता है उसे ही राशि या चन्द्र राशि कहा जाता है । आइये अब भैयाजी से जानते है कि शनि का धनु राशि में आने से सभी राशियों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ेगा ।
साल की शुरुआत में शनि वृश्चिक राशि में होगा। 26 जनवरी गुरुवार को शनि वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेगा व 6 अप्रैल से धनु राशि में वक्रीय गति करेगा और 25 अगस्त तक धनु राशि में स्थित रहेगा। 21 जून बुधवार को शनि पुन: वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। इसके बाद दोबारा 26 अक्टूबर गुरुवार को धनु राशि में प्रवेश करेगा। 4 दिसंबर सोमवार को सूर्य के निकट होने से शनि ग्रह का प्रभाव कम हो जाएगा और यह 8 जनवरी 2018 सोमवार तक इसी अवस्था में रहेगा। शनि ग्रह के इस संचरण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। हालांकि प्रत्येक राशि पर इसका असर भिन्न-भिन्न होगा। शनिजी का राशि परिवर्तन हमारे देश और विदेश के लिए भी बारे परिवर्तन लाएंगे , जिनमें से कुछ की शुरुआत कुछ समाये पूर्व से हो चुकी है , इनकी विस्तृत जानकारी भैयाजी आने वाले लेखों में आप सब को भेजेंगे। भारत वर्ष की जनम कुंडली वृषभ लगन की कुंडली है , और इस आधार से शनिजी अष्टम भाव में गोचर करेंगे , और ये गोचर दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि देगा , और इस कारण अप्रत्याशित राजनितिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे , अहंकारी लोग मुसीबत में परेएँगे , उथल पुथल की स्तिथि देश में बानी रहेगी , अनिश्चितता का माहौल देश की जनता में निर्माण होगा , क्षेत्र में काफी कमी आ सकती है , शासक लिए चुनॉतीयां बरेंगी और जनता अप्रसंन रहे सकती है , मेंगाई बार सकती है। देश और दुनिया की बारे में ज़्यादा वृस्तृत जानकारी हमारी वेब साइट पर जल्द ही आप पड़ पाएंगे।
मेष राशि
शनि धनु राशि में 26 जनवरी 2017 को प्रवेश करेंगे उनकेइस राशि में आने से मेष राशि के जातक के ऊपर कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य पडेगा। मेष राशि तथा मेष लग्न वालो के कुंडली में शनि का गोचर नवम भा में हो रहा है। शनि आपके भाग्य स्थान में बैठकर लाभ, परिश्रम तथा रोग स्थान को देख रहा है अतः स्पष्ट है की कठिन मेहनत से ही लाभ मिलने की सम्भावना है। अपने भाग्य वृद्धि के लिए आपको कठोर परिश्रम करना ही पड़ेग
सामान्य फल
शनि का यह गोचर आपके लिए अनुकूल ही रहेगा। मेष लग्न तथा मेष राशि वालो के लिए शनि कर्म तथा लाभ स्थान का स्वामी होकर गोचर में भाग्यस्थान में परिभ्रमण कर रहा है विद